आज आपात काल यानि इमरजेंसी के 45 साल हो चुके हैं । आज के समय में यह आपात काल के बारे में लोगों को जानकारी भले ही न हो मगर इस दौरान जिन्होंने आपातकाल को जाना वे उस दौर को याद कर सिहर जाते हैं।
क्या है आपात काल ?
भारतीय प्रधानमंत्री को ये अधिकार होता है कि जब देश की कानून व्यवस्था चरमरा सी जाए तथा आंतरिक बाहरी खतरे से देश जूझने लगे तो तो वह देश में आपात काल की घोषणा कर सकता है ।
और राज्य सरकारों की भूमिका समाप्त हो जाती है। आपात काल में सारे मौलिक अधिकार जो नागरिकों को मिले हैं वे समाप्त कर लिए जाते हैं । और न वकील न दलील किसी का जोर नहीं चलता है। सत्ता की ताकत पूरी तरह सिमट कर प्रधानमंत्री के हाथांे पर आ जाती है। और वह देश हित में किसी भी प्रकार के फैसले ले सकता है।
25 जून को आपात काल की घोषणा क्यों की गई
संविधान की धारा 325 के अनुसार देश में बाहरी आक्रमण, राष्ट्रीय सुरक्षा
,युद्ध जैसी स्थिति हो तो आपात काल की घोषणा की जा सकती है और यह प्रधानमंत्री के सलाह पर राष्ट्रपति करता है। और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति फरूखरूद्दीन अली अहमद ने किया।
क्या मामला क्या था?
- कई फैक्टर्स थे जो राष्ट्रीय आपात काल के लिए जिम्मेदार थे । देश में मंहगाई चरम पर पहूूॅंच गई थी।
- रेल्वे कर्मचारियों के हड़ताल के कारण आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी। मानसून देरी से था।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा गांधी के प्रतिद्धंदी राज नारायण की याचिका पर ये फैसला सुनाया था कि इंदिरा गांधी ने 1971 का चुनाव गलत ढंग से जीता और सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया।
- कोर्ट ने इंदिरा गांधी को 6 महिने तक किसी भी पद को संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया।
इंदिरा गांधी ने इस फैसले के खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय में अपील की और 26 जून 1975 को देश में आपात काल की घोषणा कर दी।
आपात काल देश में 21 महिने चला और 21 मार्च 1977 को आपात काल समाप्त हो गया और आम चुनाव हुए । जिसमें कांग्रेस को की हार हुई और जनता पार्टी बहुमत से सत्ता में आयी । मोरारजी देसाई पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने मगर आंतरिक कलहों के कारण यह सरकार चंद महिनों में ही गिर गई ।
क्या हुआ था आपात काल में
- कांग्रेस विरोधियों की धरपकड़ हुई । उन्हें जबरन जेलों में डाला गया।
- राष्ट्रीय सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया । क्योंकि ऐसा माना जाने लगा कि यह संगठन विरोधियों का प्रमुख समर्थक है। और यह सरकार विरोधी है।
- मौलिक अधिकार आम जनता से छीन लिए गए। सार्वजनिक सभाओं पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया।
- समाचार पत्रों को आचार संहिता अनिवार्य कर दिया गया । खबरो के प्रकाशन से पूर्व सामाचार पत्रांे को सरकारी सेंसर का सामाना करना पड़ता था।
- समाचार पत्र एक स्वतंत्र इकाई नहीं रहे।
- गिरफतार व्यक्ति को जमानत का अधिकार नहीं था।
- सभी बड़े नेताओं को गिरफतार कर लिया गया। जिनमें लालकृष्ण आडवानी, अटलबिहार वाजपेयी, जार्ज फर्नाडिस, मोरारजी देसाई, जय प्रकाश नारायण और चंद्रशखर इत्यादि प्रमुख थे।
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