ग्राम पंचायत
73 वां संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज में ग्राम पंचायत स्वशासन और विकास के लिए पहली कडी है। एक पंचायत के लिए जरूरी है कि गांव की आबादी कम से कम एक हजार हो आगर गांव की आबादी एक हजार नहीं है तो एक से ज्यादा गांव को मिलाकर ग्राम पंचायत अपनी पहली बैठक के लिए तय की गई तारीख से पांच साल तक के लिए बनी रहेगी।
प्रत्येक ग्राम पंचायत में वार्डो की संख्या कम से कम 10 अधिक से अधिक 20 होगी।
प्रत्येक वार्डो की जनसंख्या लगभग समान होगी।
प्रत्येक ग्राम पंचायत चुने गये पंचों तथा सरपंचों से मिल कर बनेगी।
ग्राम पंचायत में एक सरपंच तथा एक उपसरपंच होंगे। पूरी पंचायत के लिए सरपंच का सीधे चुनाव होगा और पंच के लिए प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य का चुनाव होगा। चुनाव के बाद चुने गये सरपंच और पंच मिलकर एक उप सरपंच का चुनाव करेगें।
ग्राम पंचायत सभी की सहमति से निर्णय करेगी। अकेला सरपंच कोई निर्णय नहीं करेगा। सभी वार्डो के पंचों की भागीदारी से पंचायत के काम काज किये जायेगें।
प्रत्येक ग्राम पंचायत की हर महिने बैठक होगी जिसमें ध्यान रखना होगा कि-
1. ग्राम पंचायत की मासिक बैठक की अध्यक्षता सरपंच करेगा सरपंच की अनुपस्थिति में उपसरपंच अध्यक्षता करेगा। दोनों की उपस्थिति न होने पर उपस्थित सदस्यों में से कोई भी तय सदस्य बैठक की अध्यक्षता करेगा।
2. बैठक का कोरम तभी पूरा होगा जब कम से कम आधे सदस्य उपस्थित हो अन्यथा बैठक नहीं होगी।
3. यदि किसी विषय को लेकर सदस्यों में एक मत नहीं हो रहा है तो अध्यक्ष के मत से फैसला होगा।
4. ग्राम पंचायत की हर बैठक की कार्यवाही रखने के लिए एक बैठक रजिस्टर होगा जिसमें पंचायत सचिव कार्यवाही लिखेगा।
पंचायत की जिम्मेदारियां
ग्राम सभा ऐसी संबैधनिक इकाई है जहां समुदाय खुद ही अपनी समस्याओं और सामाजिक विषय से जुडे हुए मुद्दों पर निर्णय लेती है। समुदाय ग्राम सभा के रूप में हमेशा नहीं एकत्र होती अतः ग्रामसभा के निर्णय और फैसलों को लागू करने के लिए ग्राम पंचायत को बहुत से अधिकार और शक्तियां दी गई है।
ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है -
नियोजन और ग्राम विकास
- वह अपने गांव या गांवों के आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखकर योजना बनाए।
- वह यह सुनिश्चित करें कि ग्राम सभा ने जो भी फैसले लिये हैं वह क्रियान्वित हो रहे हैं।
- ऐसी संस्थाओं पर ग्राम सभा के सुझाव व निर्देश के अनुसार नियन्त्रण जिन्हें शासन ने ग्राम पंचायत को सौंपा है।
- वह पंचायत क्षेत्र में लागू की जाने वाली सभी योजनाओं, इन योजनाओं के संसाधनों और योजना पर होने वाले खर्चों पर ग्राम सभा द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार नियन्त्रण रखे।
- वह केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, जिला पंचायत तथा जनपद पंचायत से प्राप्त होने वाले कार्यक्रम और योजनओं को ग्रामसभा के सुझाव तथा निर्देश के अनुसार लागू करें।
- वह अपने पंचायत क्षेत्र के समस्त प्राकृतिक संसाधनों पर ग्रामसभा के सुझाव और निर्देश के अनुसार नियन्त्रण बनाए रखें।
सामाजिक जिम्मेदारी
- जनसाधारण में जागरूकता बढाना व सामुदायिक स्वामित्व की धारणा को बढाना।
- निर्धन व्यक्ति या उसके परिवार के सदस्य के अंतिम संस्कार में मदद करना।
- सामुदायिक कार्य के लिए स्वैच्छिक श्रम और सहायता के विचार को आगे बढाना तथा इसकी व्यवस्था करना।
- कांजी हाउस की स्थापना।
- युवा कल्याण, परिवार कल्याण तथा खेल कूद को बढावा देना व व्यवस्था करना।
- जन्म, मृत्यु और विवाह के अभिलेख (दस्तावेज) रखना।
सहयोग की जिम्मेदारी
- जनगणना कार्य में सहयोग, बीमारी व महामारी के रोकथाम में सहयोग, टीका लगाने में सहयोग करना, मनुष्य तथा पशुओं की सुरक्षा के उपाय लागू करने में सहयाता।
सफाई तथा स्वच्छता से जुडी जिम्मेदारी?
- पानी की आपूर्ति, शव, पशु शव आदि के अंतिम संस्कार स्थल की व्यवस्था।
- लावारिश शवों को ठिकाने लगाना, कचरा इकटटठा करने की जगह, मांस की बिक्री की देखरेख तथा नियंत्रण, सार्वजनिक कुआं, तालाबों का निर्माण व मरम्मत, स्वच्छता, सफाई तथा गंदगी दूर करना।
- नहाने धोने तथा पशुओं के पीने की जगह का निर्माण।
- संडास, नाली आदि का निर्माण व देखरेख।
बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी
- सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाश, गांव के रास्तों का निर्माण
- ग्रामीण सडक, पुलिया, पुल, बांध आदि को बनाना व उनकी सुरक्षा।
- जीवन तथा संपति की सुरक्षा के लिए काम, बुनियादी सुविधाओं की योजना बनाना व प्रबंधन।
ग्राम पंचायत के अन्य काम
इन कामों के अलावा भी ग्राम पंचायत को कुछ काम दिए गए हैं- जैसे गांव के भीतर आने वाले तालाबों या दूसरे जल निकायों की देखरेख। कृषि तथा सामाजिक वानिकी को बढावा देना, वृक्षारोपण तथा पंचायत के वनों की सुरक्षा तथा उन्हें बढावा, मछली पकडने या दूसरे वाणिज्य और छोटे तालाबों के उपयोग को नियंत्रण हितग्राहिता मूलक योजना का नियंत्रण करना व मानिटरिंग। विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के लिए हितग्राही चयन करना। ग्राम सभा के भीतर लागू होने वाले विकास की स्कीम और निर्माण के काम को लागू करना और इस पर नजर रखना।
सामाजिक कल्याण की जिम्मेदारी
निशक्त तथा निराश्रित लोगों की सहायता करना, दहेज जैसी सामाजिक बुराइ्र्र को दूर करना। गंभीर तथा आपातकाल से जुडे मामले में गरीब आदमी की चिकित्सा के लिए सहायता करना। छुआछूत मिटाना, बाल विवाह को रोकना, अनुसूचित जाति, अनूसूचित जनजाति तथा पिछडा वर्ग की दशा सुधारने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों को लागू करना।
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"ग्राम सभा "
ग्राम पंचायत के सरपंच के उतरदायित्व
ग्राम पंचायत सरपंच के रूप में चुने गये व्यक्ति के द्वारा निम्नलिखित उत्तरदायित्व का निर्वहन किया जाएगा, जो नियमों के द्वारा उसे दिये गए हैं
- आयोजित बैठकों की अध्यक्षता करना तथा चर्चा के विषयों में भाग लेना।
- अनुसूचित क्षेत्रों में सरपंच अध्यक्षता नहीं कर सकता।बैठकों में लिए गए निर्णयों को लागू करना तथा समय-समय पर इन कार्यो की प्रगति से सदस्यों को अवगत करना।
- अधिनियम के द्वारा सौंपी गई समस्त जिम्मेदारीयों, कार्यों को संचालित करने के उत्तरदायित्व को पूर्ण करना।
- जनपद पंचायत, जिला पंचायत एवं जिला प्रशासन से उचित तालमेल व सहज सम्पर्क स्थापित करना।
- ग्राम पंचायत क्षेत्र के समग्र विकास के लिये प्रयास करना तथा आवश्यक होने पर इस संबंध में ग्राम पंचायत की बैठक में प्रस्ताव रखना।
- ग्राम विकास की योजनाओं को बनाना उन्हें लागू करना तथा समय-समय पर इसकी प्रगति को देखना।
- ग्राम पंचायत में अधिनियम के अनुसार गठित समितियों की गतिविधियों पर नियंत्रण रखना तथा इनके कार्यों पर निगाह रखना।
- विभिन्न विभागों के शासकीय कर्मचारियों तथा उनके द्वारा ग्राम पंचायतों में किये जाने वाले कार्यों पर नियंत्रण रखना।
- सचिव को समय-समय पर मार्गदर्शन करना।
- धर्म/जाति के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं करना।
- गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले निर्धन व्यक्तियों के उत्थान के लिए प्रयास करना
- साक्षरता के प्रसार के लिये कदम उठाना।
- पंचायत एवं शासकीय धन राशि का सही हिसाब-किताब रखना तथा उसके व्यय में पूरी ईमानदारी बरतना।
- किसी भी अभिलेख दस्तावेज पत्र पंचायत की कार्यवाही विवरण चेक आदि पर हस्ताक्षर करने के पूर्व यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उसमें लिखी बात सही है।
ग्राम पंचायत के सरपंच को ग्राम पंचायत के प्रमुख होने के नाते उन समस्त अधिकारों एवं दायित्वों को पूरा करना होगा जो अधिनियम के द्वारा या ग्राम पंचायत के प्रस्तावों के द्वारा किन्हीं नियमों के अन्तर्गत उसे सौंपे जाते हैं।
उप सरपंच तथा पंचों के अधिकार एवं उत्तरदायित्व
उप सरपंच अपने वार्ड का प्रतिनिधि होने के साथ-साथ ग्राम पंचायत का उप सरपंच भी होता है उनके द्वारा सरपंच की अनुपस्थिति में वे सभी कार्य किये जायेंगे जो विधि द्वारा सरपंच को दिये गए हैं। उप सरपंच का यह भी दायित्व है कि वह ग्राम विकास के समस्त कार्यो के सम्पादन में सरपंच का सहयोग करें और आवश्यकता के अनुरूप सरपंच को भी मदद करें।
यदि किसी कारण वश सरपंच के द्वारा अपना पद त्याग दिया जाता है या उसे पद से हटा दिया जाता है तो उस स्थिति में उपसरपंच को सरपंच का दायित्व सौंप कर जब तक नये सरपंच का पद नहीं भरा जाता है तब तक कार्य चलाने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। (घारा 18 एक)
धारा 48 के अनुसार नियम द्वारा विहित की गई पंक्तियों एवं कार्यो का पालन तथा संचालन उप सरपंच द्वारा किया जायेगा।
पंच के कर्तव्य एवं दायित्व
ग्राम पंचायत क्षेत्र में चल रही विकास योजनाओं, निर्माण कार्यों तथा कार्यक्रमों की जानकारी को प्राप्त करने का कर्तव्य पंच का होगा।
ग्राम पंचायत की बजट की जानकारी प्राप्त करना।
ग्राम पंचायत की बैठक में कार्यसूची के किसी भी विषय पर जानकारी लेना और सुझाव देना।
यदि किसी विषय पर निर्णय लेने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर मतदान की आवश्यकता होती है तो अपना निष्पक्ष मत देना।
जिस वार्ड का वह प्रतिनिधि है उसके बहूमुखी विकास के लिए प्रयास करना।
अपने वार्ड की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत की वार्षिक योजना में उन कार्यों को शामिल करवाने के लिये प्रस्ताव देना।
शासकीय अधिकारियों/अमले से आवश्यक सहयोग प्राप्त करना तथा आवश्यक सहयोग देना।
ग्राम पंचायत की बैठक के लिये कार्य सूची में शामिल किये जाने के लिए सरपंच के सुझाव व विषयों में मत देना।
ग्राम पंचायत के सरपंच या उपसरपंच की अनुपस्थिति या उसके अपने पद पर न होने की स्थिति में ग्राम पंचायत की बैठक के लिए अध्यक्ष को चुनना।
सरपंच एवं उपसरपंच को उनके कार्यों के संचालन में सहयोग करना एवं सहायता करना।
ग्राम पंचायत की गतिविधियों पर निगाह रखना और यदि कहीं पर कोइ्र भी अनियमितता हो रही हो तो उसकी ओर ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव का ध्यान आकर्षित करना।
सामाजिक कल्याण एवं आर्थिक विकास से संबंधित योजनाओं की जानकारी के प्रचार-प्रसार में सहयोगी होकर अधिक से अधिक व्यक्तियों/परिवारों तक इस जानकारी को पहुंचाने में सहयोगी होना।
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