भूकम्प : Cause of an Earthquake ?

बस्तर जिले के सुकमा, छिंदगढ़ और जगदलपुर के कुछ क्षेत्रों में भूकम्प के झटके हल्के झटके महसूस किए गए जिसके रिएक्टर स्केल पर तीव्रता 4.2 आंकी गई। यह तीव्रता बहुत ही कम होती है। जिससे किसी भी प्रकार के भारी नुकसान की आशंका नहीं होती है। यह झटके 2 से चार मिनट तक हुआ । आम तौर पर रिएक्टर स्केल पर 5 से कम तीव्रता वाला झटका नुकसानदायक नहीं होता है। बल्कि इसके हल्के झटके महसूस किये जाते हैं। जानते है भूकम्प क्यों आते है? 
भूकम्प क्यों आते है

इसके मुख्यतः दो कारण हो सकते हैं 
पहला है प्लैट्स के खिसकने के और दूसरा धरती पर बड़ते दबाव से 
हांलाकि दूसरा कारण सर्वमान्य नहीं है इसके पीछे शोध चल रहा है। इसे थोड़ा समझते हैं
हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है।
ये तो सभी जानते हैं कि हमारी पृथ्वी का जब से निर्माण हुआ है तब से लेकर आज तक जमीन वाला हिस्सा प्लैट्स में बंटा हुआ है और यह प्लैट्स ठीक उसी प्रकार से तैर रहें हैं जैसे पानी की बड़े टंकी पर रखे लकड़ी के गत्ते तैरते रहते हैं। जब ये प्लैट्स आपस में टकराते हैं या दूर जाते हैं तो भूकम्प आता है। यानि जमीन का वह हिस्सा जब एक दूसरे से टकराता है या दूर जाता है तो भूकम्प आते हैं । 

कितने है हिस्से धरती के ? 

सामान्यतया इन प्लेटों में बड़ी प्लेटों की संख्या सात मानी जाती है। इसके अलावा कुछ सामान्य और कुछ छोटे आकार की प्लेट्स भी होती हैं। ये प्लेट्स मुख्य रूप से अफ्रीकी प्लेट, यूरेशियाई प्लेट, उत्तर अमेरिकी प्लेट, दक्षिण अमेरिकी प्लेट, प्रशांत प्लेट, हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट, अंटार्कटिक प्लेट्स हैं।
ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।
वैसे भूकम्प आने के कई कारण होते हैं , दूसरा है  

जमीन पर दबाव

कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि हद से ज्यादा धरती पर दबाव बड़ जाता है तो भूकम्प आते है। यानि प्लैट्स या जमीन पर किसी हिस्से में अगर ज्यादा दबाव बड़ जाता है तो वह नीचे के ओर दबती है तो धरती पर भकम्प आता है। हांलाकि यह सर्वमान्य नहीं है क्योंकि इस लिहाज के करोड़ों की आबादी वाले जगहों पर या उसके आसपास जगहों पर भूकम्प आते । वैसे इस कारण में दम इसलिए भी नहीं दिखता है क्योंकि दुनियां की घनी आबादी वाले शहरों में आज तक भूकम्प नहीं आए। जबकि महाराष्ट्र का भुज वाला गांव में काफी तीव्रता वाला भूकम्प आया जिसमें बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान हुआ। है। 

रिएक्टर स्केल क्या है? 

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए प्रयोग किये जाने वाले यंत्र को रिक्टर स्केल कहते हैं।  इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।

भूकम्प केंन्द्र

वह जगह जहाँ कम्पन्न की तीव्रता सर्वाधिक होती है उसे भूकम्प केन्द्र कहते हैं । यह तीव्रता धीरे धीरे दूरियों के साथ कम होती जाती है। जैसे एक सिरे से पकड़कर हम पेपर हिलाएं तो हाथ के पास वाला हिस्सा काफी तेजी से हिले और दूसरा हिस्सा कम । 

भारत के विभिन्न हिस्सों में भूकम्प की स्थिति 

भूंकप के खतरे के हिसाब से भारत को चार जोन में विभाजित किया गया है। 
जोन-2 में दक्षिण भारतीय क्षेत्र को रखा गया है, जहां भूकंप का खतरा सबसे कम है। 
जोन-3 में मध्य भारत है। 
जोन-4 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के तराई क्षेत्रों को रखा गया है, जबकि 
जोन-5 में हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा कच्छ को रखा गया है। जोन-5 के अंतर्गत आने वाले इलाके सबसे ज्यादा खतरे वाले हैं। दरअसल, इंडियन प्लेट हिमालय से लेकर अंटार्कटिक तक फैली है। यह हिमालय के दक्षिण में है, जबकि यूरेशियन प्लेट हिमालय के उत्तर में है, जिसमें चीन आदि देश बसे हैं। 
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंडियन प्लेट उत्तर-पूर्व दिशा में यूरेशियन प्लेट की तरफ बढ़ रही हैं। यदि ये प्लेटें टकराती हैं तो भूकंप का केंद्र भारत में होगा।
यानि हिमालय और बड़ा हो रहा है हम उत्तर की तरफ खिसकते जा रहें है। बरसों पहले पूरे महाद्वीप एक थे यानि आज की तरह सात महाद्वीप नहीं थे बल्कि एक थे जिसे पेन्जिया कहा जाता था। फिर प्लैट्स यानि धरती खिसकती गई और महाद्वीपों की रचना हुई । 
हमारा बस्तर दक्षिणी जोन में आता है और यह काफी सुरक्षति जोन माना जाता है। भूगर्भ शास्त्रियों की माने तो यहां भूकम्प की तीव्रता 4 से ज्यादा नहीं हो सकती है।

कैसे करें बचाव

मान लिजिए अचानक भकम्प आए तो आप सुरक्षित मैदानी वाले जगहों पर पहुँच जाए जहाँ आसपास मकान न हों । और यदि आप घर पर हों तो दीवार का कोई कोना पकड़ ले और उससे सट कर खड़े हो जाएं क्योंकि जब मकान गिरेंगे तो बीचे से ही गिरेगा। और आप गंभीर चोट से बच सकते हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि मकान बनाते वक्त मकान कुछ इस तरह बनाने चाहिए जो हल्के फुल्के झटके बर्दाष्त कर सकें । यानि लचीले हों । इसीलिए मकानों में लाहे के बीम लगाए जाते हैं और इंजीनियरर्स को इसकी बखूबी जानकारी होती है । 

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