छत्तीसगढ़ राज्य में चुनावों को घोषणा हो चुकी है और इसके साथ ही चुनावी आचार संहिता यानि electoral code of conduct की शुरुआत भी हो चुकी है / छात्रों से बातचीत के दौरान ये प्रश्न आया कि electoral code of conduct क्या है ? तो जो मैंने चर्चा की उसी चर्चा की बिन्दुओं को आप तक इस ब्लॉग के माध्यम से पंहुचा रहा हूँ /
फोटो- गूगल |
वैसे हमारे क्षेत्र में चुनाव दो चरणों में किया जाना है / और कुल 90 विधानसभा क्षेत्र आते है / जिसमे जगदलपुर भी एक है /
तो विषय में आते है-- देखिये ऐसा है कि चुनावों की घोषणा होते ही आचार संहिता भी लागू हो
जाती है / आचार संहिता में क्या होता है ? क्या सावधानियां पोलिटिकल पार्टियों को रखना
चाहिए थोड़ी इस पर चर्चा करते है /
क्या है उद्देश्य आचार संहिता का ?
इसका प्रमुख उद्येश ये है कि सत्ता पक्ष चुनाव परिणामों को अपने पक्ष
में न कर सके और चुनाव निष्पक्ष रूप से किये जा सके ताकि सभी राजनितिक दल आश्वस्त
हो कि चुनाव परिणाम में कोई धांधली नही हुई है / और ये संहिता यानी नियम सभी
राजनितिक दलों, उम्मीदवारों , सरकारी कर्मचारियों और चुनाव एजेंट्स लागू होती है /
क्या है आदर्श आचार संहिता के मायने ?
आचार संहिता का सीधा मतलब है कि नियम कायदों का एसा समूह जिसमे चुनाव
के दौरान उम्मीदवारों एवं राजनितिक दलों की गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके /
हालाँकि, इसका कोई संवैधानिक आधार नही है न ही इसे क़ानून द्वारा लागू किया जा सकता है /
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कब लागू की जाती है आचार संहिता ?
चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है मगर 2001 में
चुनाव आयोग तथा सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार चुनाव के लगभग तीन सप्ताह पहले
ही इसे लागू किया जा सकता है /
पहली बार 19 71 के आम चुनाव में आचार संहिता के ज़िक्र आया था जिसमे
निष्पक्ष चुनाव हेतु एक एसी प्रक्रिया के बारे में सोचा गया था जिसमे राजनितिक
दलों की गतिविधियों के सुनिश्चित किया जा सके /
क्या बंदिशे लग जाती है आचार संहिता के दौरान :-
इसमें राजनितिक दलों , उम्मीदवारों शासकीय कर्म चारियों पर कुछ
बंदिशे लग जाती है जिसका पालन करना अनिवार्य हो जाता है अन्यथा उन्हें सवैधानिक
कारवाही से गुज़रना पड़ सकता है –खास तौर पर राजनैतिक दलों – उनकी मान्यता तक रद्द हो
सकती है या उन्हें चुनाव से वंचित किया जा सकता है, इत्यादि/
खैर जानते है क्या और किनके लिए कैसे –कैसे नियम है/
सबसे पहले बात करते है राजनितिक दलों की –
1.
धार्मिक स्थानों का प्रयोग चुनाव प्रचार की लिए नही किया जाना चाहिए /
2.
मतदाताओ को लुभाना वर्जित है जैसे
रिश्वत या उपहार इत्यादि के रूप में /
3.
बिना अनुमति के किसी नागरिक की वक्तिगत
दीवार या घरों में प्रचार न लिखे / अगर ज़रूरी हो तो गृह स्वामी से अनुमति ले कर ही
करें /
4.
किसी अन्य दल की सभा या जुलुस में बाधा
न डालें /
5.
राजनितिक दल कोई अपील जारी न करें
जिससे धार्मिक भवनाये आहत हों /
6.
अगर सभा करनी हो तो इसकी पूर्व सूचना
पुलिस अधिकारीयों को दें और दल पहले ही ये पता कर लें के वो स्थान वर्जित या निषेध
तो नही है /
7.
सभा स्थल पर लाउडस्पीकर की अनुमति पहले
से ही प्राप्त कर लें /
8.
जुलुस सडक के दायी ओर से निकले और
यातायात प्रभावित न हो इस बात का ख्याल रखें /
सत्ताधारी पार्टी के लिए नियम
1.
कर कलापों में शिकायत का मौका न दें
2.
मंत्री शासकीय दौरों में चुनाव प्रचार
न करें और न ही शासकीय कर्मचारियों का गलत इस्तेमाल न करें /
3.
शासकीय वाहनों का चुनावी कार्यों के
लिए उपयोग न करें और हेलिपैड पर एकाधिकार न दिखाएँ / कैबिनेट की बैठक नही करें /
4.
ट्रांसफर के लिए चुनाव आयोग की अनुमति
से ही करें
5.
कोई नए कार्य की घोषणा न करें/
शासकीय कर्मचारियों के लिए :-
1.
किसी उम्मीदवार के एजेंट के रूप में कार्य न करें
2.
मंत्री यदि निजी आवास में ठहरते है तो
मंत्री के बुलाने पर भी वहां न जाएँ
3.
ड्यूटी को छोड़कर किसी भी सभा में न
जाएँ
4.
राजनितिक दलों को सभा के लिए स्थान
देते समय भेदभाव न करें
2 Comments
Nice infermation
ReplyDeleteThank you very much
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