एन.आर.सी N R C को जानिए।

आजकल सीएए यानि सीटिज़न अमेण्डमेंट एक्ट  और NRC की काफी चर्चा हो रही है । मोदी नेतृत्व भाजपा ने जब से नागरिकता संसोधन बिल लाया और
यह राज्य सभा में पास हुआ है तब से देश में इसे लेकर मिश्रित विचार देखने में आ रहें है । सीएए यानि सीटिजन अमेंडमेंट एक्ट जब ये बिल के रूप में राज्य सभा में पेश किया गया था तब इसके बारे में मैने विस्तृत चर्चा की थी और और इसके प्रावधानों के बारे में बताया था।

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 इसी से मिलता जुलता है एन आरसी National Register of Citizen. एनआरसी अर्थात नेशनल सिटिजन रजिस्टर असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है। जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है।
इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया। इसके अंतर्गत रजिस्टर में उन्ही लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं, या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।
दरअसल हुआ यूॅ कि  विभाजन के दौरान काफी संख्या में लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए मगर उनके ज़मीने भारत में रह गई , इस कारण कई लोगों का भारत में आना जाना जारी था  अब दिक्कते यह आई कि मूल भारतीयों की पहचान करना मुश्किल हो गया। जिसके कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगी, सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए वर्ष 1951 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार किया। 

इसका मकसद क्या है? 

सीबीए जहाँ एक ओर नागरिकता प्र्रदान करता है तो दूसरी तरफ एन आर सी अवैध रूप से भारत में बसे लोगों को बाहर उनके देश वापस भेजने के लिए बनाया गया है। इसकी शुरूआत 2013 में असम में हुई थी। यानि फिलहाल यह केवल असम में लागू है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा। मगर प्रत्येक राज्य मंे उसका प्रावधान और मसौदा अलग होगा। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी का भारत के किसी धर्म के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है । और न ही यह धर्म विषेष को प्रोत्साहित करने के लिए है। इसका मकसद केवल अवैध घुसपैठियों की खोज खबर लेना और उन्हें वापस उनके सम्बधिंत countries में भेजना है।
यहां कुछ ऐसे सवाल है जिन्हें हम सबको जानना जरूरी है जो एनआरसी से सम्बध रखते हैं । जैसे एन आर सी का मतलब क्या है? 

कोई किस प्रकार एनआरसी में शामिल हो सकता है? 

तो सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि एनआरसी में कोई किस प्रकार शामिल हो सकता है? 
इसमें शामिल होने से पहले किसी नागरिक को ये साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इसे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। 

एनआरसी के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है?

भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास 
  • रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, 
  • आधार कार्ड,
  •  जन्म का सर्टिफिकेट,
  • एलआईसी पॉलिसी, 
  • सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, 
  • पासपोर्ट, 
  • सरकार के द्वारा जारी किया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए।

तो उन लोगों का क्या होगा जो अपनी पहचान या दस्तावेज नहीं दे पाए तो ? 

ये एक जरूरी प्रश्न है । ऐसे व्यक्तियों को चिन्हांकित किया जाएगा ठीक उसी तरह जिस प्रकार असम में किया है। इसके बाद सरकार उन देशों से संपर्क करेगी जहां के वो नागरिक हैं। अगर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए साक्ष्यों को दूसरे देशों की सरकार मान लेती है तो ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।
 तो अंतर क्या है एन आरसी और नागरिकता संसाधन कानून में ?
सबसे पहला अंतर तो यह है कि जो बाहर के है और यहां 6 साल से अधिक रह चुके है उन्हें नए नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत की नागरिकता मिल जाएगी । एन आरसी में ऐसे घुसपैठियों को उनके देश वापस भेजने का प्रावधान है । इसकी शुरूआत असम में हो चुकी है। जल्द ही पूरे देश में एनआरसी लागू हो जाएगा तो वहां के लोगों को चिन्हिंत कर उनके संबंधित  देशों  में भेज दिया जाएगा।
केन्द्र सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि प्रत्येक राज्य में उसका प्रावधान और मसौदा अलग होगा।

इतिहास के पन्नों में एनआरसी

  • 1951- पहली बार एनआरसी तैयार किया गया
  • 1971- भारत-पाकिस्तान युद्ध और बड़ी मात्रा में बांग्लादेशी शरणार्थियों का भारत में प्रवेश
  • 1970-80- असम में जनांकिकीय परिवर्तन और परिणामस्वरूप अवैध शरणार्थियों और राज्य के निवासियों के बीच सामाजिक, जातीय और वर्ग-संघर्ष शुरू
  • 1979-85- ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन  के नेतृत्व में असम विद्रोह शुरू और इसको ऑल असम गण संग्राम परिषद का भी समर्थन
  • 1985- असम समझौते पर हस्ताक्षर और 1951 में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का अपडेट किया जाना
  • 2012-13- सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप, केंद्र सरकार को एनआरसी को अपडेट करने का दिया निर्देश
  • 31 अगस्त 2019- एनआरसी की अंतिम सूची जारी, करीब 19 लाख लोग हुए बाहर, एनआरसी में गड़बड़ी का आरोप


एनआरसी की आवश्यकता क्यों हुई ?

जैसे कि असम में इस समय लगभग 50 लाख बांग्लादेशी गैर-कानूनी ढंग से रह रहे हैं,
NRC Cartoon
जिसकी वजह से यहां सामजिक और आर्थिक समस्याएं कई दशकों से बनी हुई है।  भारतीय परिपेक्ष्य की बात करें तो एनआरसी उन्हीं राज्यों में लागू होती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं। एनआरसी की रिपोर्ट ही बताती है, कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं है, यदि वह व्यक्ति भारतीय है, तो उन्हें सामान रूप से वह सभी अधिकार प्राप्त होंगे, जो एक भारतीय को प्राप्त है अगर नहीं तो उन्हें वापस उनके देषों में भेजने का प्रावधान भी है। 

नागरिकता खत्म होने से दिक्कतें क्या आएगीं ?

एनआरसी की सूची जारी होने के बाद वह किसी भी देश के नागरिक नहीं  होने की स्थिति में राज्य में हिंसा का खतरा बन जाता है।
ऐसे लोग काफी लम्बे समय से असम में निवास कर रहे थे, भारतीय नागरिकता समाप्त होने के बाद वह न तो पहले की तरह वोट दे सकेंगे, न इन्हें सरकार की किसी कल्याणकारी योजना का लाभ मिलेगा और अपनी ही संपत्ति पर भी इनका कोई अधिकार भी नहीं रहेगा।
जिन लोगों के पास स्वयं की संपत्ति है, वह दूसरे लोगों का निशाना बनेंगे।
तो जाहिर है ये स्थिति निर्मित न हो इसीलिए सरकार ने एनआरसी को लेकर ये कदम उठाया है । देष के सभी राज्यों में अगर एनआरसी लागू हो जाएगी तो ऐसे लोगों को चिन्हित करने में सुविधा होगी। 

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2 Comments

  1. Bahut hi achhi information di Hain apne nice article

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    1. धन्यवाद! भास्कर जी ! उम्मीद है आपने मेरे अन्य ब्लाॅग भी पढे़ होगें !

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