Key Features of a Good School
नया शिक्षा सत्र अब जल्द प्रारम्भ हो जाएगा। कोरोना के कारण जब से स्कूल बंद हो गए तो पढ़ाई का बड़ा नुकसान हुआ है । 23 मार्च से स्कूल और काॅलेज बंद पढ़े हैं । इस बीच होने वाली सारी परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं हैं । सबसे ज्यादा
नुकसान बच्चों की पढ़ाई का हुआ। मई की शुरूआत हो चुकी है और जल्द ही नए
शिक्षा सत्र शुरू होने जा रहा है। वैसे ! नए सत्र की शरूआत अमूमन 15 जून से
होती है। हांलाकि इसकी विधिवत शुरूआत अप्रेल में ही हो जाती है। मगर लाॅक डाऊन के कारण अप्रेल का महिना बिना किसी शैक्षणिक गतिविधियों के ही बीत गया
। आजकल, कोशिश यह की जा रही है कि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो और वे लाॅक
डाऊन के दौरान समय का पूरा उपयोग कर सकें । इसके लिए शिक्षक और स्कूल
प्रबंधन द्वारा Online शिक्षा पर बढ़ावा दिया जा रहा है और शिक्षक भी अपने स्तर पर बच्चों से Online जुड़कर पढ़ा रहें हैं
अब बस्तर ऐसा क्षेत्र नहीं रहा जिसे पढ़ाई के लिए अनुपयुक्त समझा जाए। जानते उन शैक्षणिक संस्थानों के बारे में जिसमें उत्तम दर्जे की पढ़ाई होती है। इससे पहले ये समझना जरूरी है कि एक अच्छे स्कूल की क्या विषेषताएं होती हैं? क्यों पालक-अभिभावक इसके बारे में जानना जरूरी समझते हैं ।
इससे पहले यह समझना जरूरी है कि अब वह दौर नहीं रहा जहाँ स्कूल का अर्थ केवल किताबी ज्ञान देना है। अब स्कूलों से पालक व अभिभावक ऐसी उम्मीद लगाए रखते है जिसमें पढ़ाई के साथ -साथ सुरक्षा पर कोई ठोस बातें हो। अगर प्राइमरी स्कूल है तो
अब बस्तर ऐसा क्षेत्र नहीं रहा जिसे पढ़ाई के लिए अनुपयुक्त समझा जाए। जानते उन शैक्षणिक संस्थानों के बारे में जिसमें उत्तम दर्जे की पढ़ाई होती है। इससे पहले ये समझना जरूरी है कि एक अच्छे स्कूल की क्या विषेषताएं होती हैं? क्यों पालक-अभिभावक इसके बारे में जानना जरूरी समझते हैं ।
इससे पहले यह समझना जरूरी है कि अब वह दौर नहीं रहा जहाँ स्कूल का अर्थ केवल किताबी ज्ञान देना है। अब स्कूलों से पालक व अभिभावक ऐसी उम्मीद लगाए रखते है जिसमें पढ़ाई के साथ -साथ सुरक्षा पर कोई ठोस बातें हो। अगर प्राइमरी स्कूल है तो
पहले सुरक्षा की बात आती हैं
प्राईमरी स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा नादान और नासमझ होता है इसीलिए बच्चे की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखा जाना आवष्यक है। यानि सबसे पहली प्राथमिकता प्राईमरी स्कूल में पालक यह जानने की कोशिश करता है कि बच्चा स्कूल में कितना सुरक्षित है? पढ़ाई लिखाई तो बाद में आती है।
घर के पास हो स्कूल
पालक अपने बच्चों को घर के नजदीक स्थित किसी स्कूल में डालना चाहता है । जिससे उसे लाने ले जाने में सहूलियत हो।
उम्दा शिक्षक
माता-पिता के बाद प्राइमरी का बच्चा शिक्षकों का ही अनुसरण करता है। इसीलिए जरूरी है कि शिक्षक एक रोल माॅडल की तरह प्राईमरी स्कूल में हों । यानि उसका उठना,बैठना बोलना चलना सबकुल स्तरीय हो । जो बच्चों के बौद्धिक विकास में सहायक होते हैं । 3 साल का बच्चा नए माहौल में जाता है तो उसे वो सबकुछ हासिल होना चाहिए जिससे बौद्धिक विकास हो सके। इसी लिए आजकल स्कूलों में टीचिंग एड्स यानि खिलौने, वस्तुओं को इस प्रकार दिखाई जाती है जिससे वह सीख सके।
अच्छा माहौल
चूंकि बच्चा पहली बार घर के बाहर कदम रखता है तो पालकों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि उसे घर जैसा ही वातावरण मिले । स्कूल का माहौल अच्छा हो इससे बच्चे का मन स्कूल जाने में लगेगा।
अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है यानि 6वीं के बाद बच्चों की पढ़ाई के लिए पालक ऐसे स्कूल का चयन करना चाहता है जहाँ उसका पढ़ाई के साथ-साथ उसका बौद्धिक विकास हो । इसीलिए स्कूलों में भी पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ कई गतिविधयां करायीं जाती है । जिससे आजकल सीबीएसई भी बढ़ावा दे रहा है।
कुछ विषय जैसे गायन, खेलकूद, आर्ट और क्राफट जैसे विषयों को सदा ही दोयम दर्जे का समझा जाता है। जिसे लेकर आमतौर पर स्कूल ज्यादा गंभीर नहीं रहते हैं। जबकि इन विषयों पर उनका बौद्धिक, कलात्मक,रचनात्मकता की परीक्षा होती है। मगर कोई बच्चा इन विषयों में कोई अवार्ड जीत कर आता है तो अपनी पीठ थपथपाने से भी बाज नहीं आते ।
क्या अच्छा इंफा्रस्ट्रचर ही अच्छी शिक्षा का पैमाना है?
बहुत से स्कूलों की भव्य बिल्डिंग देखकर ऐसा अनुमान लगाना स्वाभाविक है मगर यह गलत है। पढ़ाई और बौद्धिक विकास की शिक्षा देने के लिए यह जरूरी नहीं है।
तो जरूरी क्या है ?
पढ़ाई का दर्जा यानि स्टैण्डर्ड । उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षक जो नियमित अपडेट होते हों क्योंकि कि समय के साथ साथ सीखने सीखाने का तरीका भी बदलता रहता है।
अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है यानि 6वीं के बाद बच्चों की पढ़ाई के लिए पालक ऐसे स्कूल का चयन करना चाहता है जहाँ उसका पढ़ाई के साथ-साथ उसका बौद्धिक विकास हो । इसीलिए स्कूलों में भी पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ कई गतिविधयां करायीं जाती है । जिससे आजकल सीबीएसई भी बढ़ावा दे रहा है।
कुछ विषय जैसे गायन, खेलकूद, आर्ट और क्राफट जैसे विषयों को सदा ही दोयम दर्जे का समझा जाता है। जिसे लेकर आमतौर पर स्कूल ज्यादा गंभीर नहीं रहते हैं। जबकि इन विषयों पर उनका बौद्धिक, कलात्मक,रचनात्मकता की परीक्षा होती है। मगर कोई बच्चा इन विषयों में कोई अवार्ड जीत कर आता है तो अपनी पीठ थपथपाने से भी बाज नहीं आते ।
क्या अच्छा इंफा्रस्ट्रचर ही अच्छी शिक्षा का पैमाना है?
बहुत से स्कूलों की भव्य बिल्डिंग देखकर ऐसा अनुमान लगाना स्वाभाविक है मगर यह गलत है। पढ़ाई और बौद्धिक विकास की शिक्षा देने के लिए यह जरूरी नहीं है।
तो जरूरी क्या है ?
पढ़ाई का दर्जा यानि स्टैण्डर्ड । उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षक जो नियमित अपडेट होते हों क्योंकि कि समय के साथ साथ सीखने सीखाने का तरीका भी बदलता रहता है।
और संतुष्ट शिक्षक -
चाहे कितनी भी दलीलें दी जाएं मगर सच्चाई यह है कि शिक्षक ही है जो किसी स्कूल की गुणवत्ता का मापदंड होता है। अगर वह संतुष्ट नहीं है तो इंफ्रास्ट्रक्चर की चमक दमक स्कूल की नहीं चला सकती । मै जगदलपुर की बात कहूँ तो उच्च गुणवत्ता वाले इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं है वावजूद इसके ऐसे स्कूल कोई खास कमाल नहीं दिखा पाएं है। वे सालों से चल जरूर रहें है मगर जहाँ हैं वहीं हैं । दूसरी तरफ सीमित साधनों से लैस स्कूल गजब ढा रहें रहें है। वजहों पर गौर करें तो पाते हैं वहाँ स्टाफ बढ़िया है , संतुष्ट और कामयाब हैं ।
खेलकूद,व्यायाम,कला (नृत्य, गायन, चित्रकारी,) को व्यापक दर्जा मिल रहा है।
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कम शुल्क
यह सबसे महत्वपूर्ण घटक होता है । पालक उस स्कूल का चयन पहले करते हैं जिसमें विद्यालय शुल्क न्यूनतम हो। और यह राज्य और केन्द्र सरकार भी चाहती है कि विद्यालय का शुल्क कम रखा जाए। मगर निजी स्कूल सुविधाओं के नाम पर शुल्क में काफी ले लेते हैं । खैर यह अलग विषय है। मगर कम फीस भी एक महत्वपूर्ण कारक होता जिसे पालक अभिभावक पहले खोजते हैंइसे भी पढ़िए
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Labels: Notes for students



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