Aug 29, 2018

डेंगू बुखार और इससे बचाव !

पिछले कुछ दिनों से समाचार पत्रों में डेंगू (DENGUE ) बुखार  की काफी खबरे आ रही है 
डेंगू का विकराल रूप
 बस्तर में पखवाड़े भर पहले का ही रिकार्ड देखें तो इसके आंकड़े बढ़ते जा रहें हैं । इसी बात की चर्चा करने के लिए मै  ये ब्लॉग आप तक पहुचने का प्रयत्न कर रहा हूँ ,क्योकिं आजकल यही चर्चा है ?
डेंगू बुखार और इससे बचाव ! 

क्या है डेंगू और कैसे होता है ?  :-

कहते है किसी बीमारी को अगर भागना हो तो सबसे पहले उसके कारणों को खोज कर उसे दूर करें तो आप बच सकते है , अलग-अलग चिकित्सकों से चर्चा करने पर ये पता लगा कि  ये मच्छरों से ही फैलते है , चिकित्सक दो ही बातों पर जोर देते है कि अगर डेंगू से छुटकारा पाना हो तो 

  • मच्छरों को ज्यादा पनपने न दें 
  • और न ही खुले बदन (खास तौर पर बच्चे )ज्यादा देर रहें / क्योकि ये मच्छरों से फैलता है मच्छरों के काटने से चार से सात दिनों में ही ये बुखार आपको जकड़ लेगा /


आइये बात करते है इसके लक्षणों के बारे में:-

क्या है डेंगू के लक्षण

लक्षणों की बात करें तो सबसे पहले इससे मरीज़ को बुखार होता है और चिकत्सकों की माने तो बुखार   104 F डिग्री तक होता है इसके आलावा निम्नलिखित में  से कोई दो लक्षण देखने को अवश्य मिलेंगें:-

सिरदर्द
मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द
जी मचलना
उल्टी
आँखों के पीछे दर्द
ग्रंथियों में दर्द
शरीर पर दाने

हालाँकि इन बताये गए लक्षणों से मरीज़ एक से दो हफ्ते में ही उबर जाता है मगर ये सभी लक्षण ज्यादा हो तो मरीज़ की मृत्यु तक हो जाती है क्योकि ब्लड वेसल(धमनियां /रक्त वाहक शिराएँ )  या तो नष्ट हो जाते है या छेड़ हो जाते है

डेंगू के प्रकार

ध्यान दीजिये!  डेंगू बुखार के तीन प्रकार होते है / और इसके वायरस चार प्रकार के( जिनका 1 2 3 4 नाम ही दिया गया है )

तीन प्रकार के डेंगू के नाम क्या है ?

1 साधारण बुखार
2 डेंगू हेमोरोजिक  बुखार  (DHF )
3 डेंगू शॉक सिड्रोम (DSS)

छत्तीसगढ़ के भिलाई में हुए मौते तीसरे प्रकार के डेंगू कारण हुई है जिससे शरीर के कई अंग पर सीधा असर डालते है /

साधारण डेंगू बुखार :- उपर दिए गए लक्षण ही साधारण  डेंगू के होते है
तो इस पर मै ज्यादा रौशनी नही डालता , वैसे ये स्वतः ही ठीक हो जाने वाले लक्ष्ण है/

मगर दूसरा (DHF )और तीसरे  (DSS) प्रकार के डेंगू ज्यादा खतरनाक होते है / अगर सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो मरीज़ जी मौत निश्चित है /
तो पहले इनके लक्षणों पर बात करते है फिर इनके उपचार पर/

डेंगू हेमोरोजिक  बुखार  (DHF ) के लक्षण :-

1 साधारण बुखार के लक्षणों के साथ साथ इस प्रकार के डेंगू में मल से तथा नाक मसूड़े से खून निकलता है
2. चमड़ी पर गहरे नीले -काले रंग के चकते बनते है जिनसे खून रिसने लगता है / डॉक्टर इसे मरीजों को “टोर्निके टेस्ट” लिखते है और जब मरीज़ के “टोर्निके टेस्ट” में पॉजिटिव परिणाम आता है तो उसे DHF है 

 डेंगू शॉक सिड्रोम (DSS) के लक्षण :-

1 इसमें मरीजो के उपरोक्त लक्षणों के आलावा “शॉक” आने के लक्षण नज़र आता है
2.  बुखार के बावजूद मरीज़ को ठण्ड लगती है
३. ब्लड प्रेशर कम होने लगता है और मरीज़ होश खोने लगता है
तो ये थे तीनो प्रकार के डेंगू के लक्षण

 इससे कैसे बचाव करें  ?
How to get rid of Dengue
डेंगू से बचाव के उपाय 

अब आईये बात करते है इनका इलाज क्या है ?

कहते है होम्योपैथी में इसका सटीक टीका उपलब्ध है मगर एलोपैथी एसा कोई दावा नही करता

चिकित्सा विज्ञान कहता है  कि रोकथाम ही इसका सही इलाज है आइये जानते है कि कैसे आप इसको फैलने से रोक सकते है ?

सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि मच्छरों को किसी भी कीमत में पनपने न दे / चिकित्सक कहते है एंडीज मच्छरों के काटने से ये होता है तो ज़रूरी है मच्छरों को न तो पनपने दें और न ही काटने दें / तो क्यों न हम इसे हालत पैदा करें की मच्छर ही पैदा न हों .... तो कैसे ये संभव है ?
अपने आस पास को साफ़ सुथरा रखे मच्छरों को पैदा होने न दें 
1.        जहाँ भी घरों में या आसपास पानी ठहरता है वहां साफ़ सफाई रखे क्योंकि एडीज मच्छर ठहरे हुए पानी में ही पनपता है / सुनिश्चित करें की कूलर का पानी, नाली का रुका हुआ पानी , टायर में भरा हुआ पानी साफ़ रखे
2.          पानी की टंकी या अन्य आवश्यक ठहरे हुए पानी को ढक कर के रखे ताकि मच्छर न पैदा हों /
3.         यदि कूलर का पानी साफ़ करना संभव नही हो तो उसमे सप्ताह में एक बार मिटटी तेल या पेट्रोल की कुछ बुँदे डाल दें / (100 लिटर पानी के लिए 30 ml तेल या पेट्रोल पर्याप्त है /
4.           टंकियों में गैमम्बुजिया या लेबिस्टर मछली डाल सकते है ये मछलियाँ मच्छरों के अंडे को खा लेती है जिससे ये पैदा नही हो पाती /
5.      कपडे इस प्रकार पहने कि शरीर का अधिकांश भाग ढका हुआ रहे/ संभव हो तो डॉक्टर की सलाह से शरीर पर मच्छर विरोधी क्रीम का लेप लगा कर रखे
6.         कूड़ा या कचरे को घर के आस पास न फेकें , कुल मिलकर ये कहा जाता है कि उन हालातों को न प्रोत्साहित करें जिसने मच्छर पैदा हों
7.               सुबह –शाम को घर पर ज्यादा मच्छर आ जाते है अतः इस समय दरवाजे खिडकियों को बंद रखे /
8.               जुलाई से अक्टूबर में डेंगू वायरस अधिक सक्रीय रहता है , सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग अवश्य कीजिये /
9.               सबसे महत्वपूर्ण बात – मरीज़ को मच्छर दानी के भीतर ही सोने दे , नही तो मच्छर उसे काट कर ,स्वस्थ व्यक्ति तक डेंगू वायरस फैला सकता है /
10.         बच्चों को हमेशा सावधान करे व रखें क्योंकि बच्चे ज्यादा ग्रसित होते है /
इन बातो का अवश्य ध्यान रखे तो आप डेंगू बुखार से बच सकते है /
याद रखिये बचाव ही रोकथाम है/

जानिए! मधुमेह से कैसे बचे 

क्लिक कीजिए नीचे लिंक पर 

इंग्लिश में मेरे जानने के लिए नीचे  लिखे लिंक पर क्लिक कीजिये/ 


Upendra




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Aug 11, 2018

Gunda Dhur who fought against injustice in Bastar

15 अगस्त को पूरा देश आजादी की वर्षगांठ मनाता है, हम अनगिनत कुर्बानियों के बाद  200 साल की गुलामी से आजाद हुए, अब हमारी आज़ादी की  72 वर्षगांठ पर मै अपने अंचल के शहीदों को भी नमन करता हूँ जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोला और ब्रिटिश अन्याय का डटकर मुकाबला किया -  /
Image of Gunda Dhur at village Netannar
इन्ही में से एक है शहीद गुंडा धुर -जिनके नाम पर आज न जाने कितनी संस्थाए अपनी पहचान बना चुकी है / 

आज की पीड़ी शायद गुंडाधुर के नाम से भली भांति परिचित होगी, इस अवसर पर अपने ब्लॉग के माध्यम से ग्राम नेतानार के गुन्डाधुर के योगदान को मै याद करता हूँ, और नमन करता हु/  

 कौन है गुंडा धुर:- 

वैसे तो इतिहास में एक रिबेलियन के तौर पर यह नाम दर्ज है, 1910 के दरम्यान बस्तर में ब्रिटिश हुकूमत के लिए यह नाम खौफ का पर्याय था, जहाँ एक तरफ क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव, राम प्रसाद बिस्मिल का नाम  उत्तर भारत में क्रन्तिकारी गतिविधियों के संचालन में तो दर्ज है तो दूसरी तरफ बस्तर जिले के  कांगेर के जंगलो में हुई विद्रोह की  अगुवाई करने में गुंडा धुर का नाम सबसे पहले  लिया जाता है , उनके साथ उनके साथी मूरत सिंह बक्शी , बालाप्रसाद नज़ीर तथा कलंदरी थे का नाम भी बड़े सम्मान से लिया जाता है  /
Gaurav Path at Rajnandgaon 

गुंडा धुर ने अपने 50 से ज्यादा आदिवासी लोगों के साथ 1910 में ब्रिटिश साम्राज्य से मुकाबला किया था , और अंग्रेजो को बस्तर से खदेड़ने के हर संभव प्रयास किये /

19 10 के विद्रोह में गुडा धुर की भूमिका क्या थी ?

जब ब्रिटिश सरकार ने कांगेर के दो तिहाई जंगलों को रिज़र्व घोषित कर दिया तो आदिवासी भड़क उठे और वे सभी अग्रेजो के खिलाफ हो गए क्योकि इस व्यवस्था से उनके हित बुरी तरह प्रभावित हो रहे थे , उन्होंने धीरे धीरे संगठित होना शुरू किया , आदिवासियों को एक जुट करने में गुंडा धुर की अहम् भूमिका थी 18 57 की क्रांति में जिस तरह कमल एवं चपाती के सहारे क्रांति का सन्देश भेजा जाता था ठीक उसी तरह,  लाल मिर्च, मिट्टी, तीर धनुष व आम की टहनी सन्देश वाहक का प्रतिक थी /

गुंडा धुर की अगुवाई में यह फैसला लिया गया कि एक परिवार से एक  सदस्य को ब्रिटिश हुकूमत से लड़ने के लिए भेजा जायेगा ,गुंडा धुर की नेतृत्व में ये योद्धा ब्रिटिश अनाज के गोदामों को लुटते और उसे गरीबों में बाँट देते थे / इसके आलावा स्थानीय जमींदार और नेताओं द्वारा किये जाने वाले अन्याय के खिलाफ भी गुंडा धुर ने आवाज़ उठाई थे /

ब्रिटिश की दमनकारी नीति :

गुडा धुर और उनके टोली ब्रिटिश हुकूमत के लिए एक चुनौती थी / कई बार ब्रिटिश सेना को गुफाओं में शरण लेनी पड़ी,
जब गुंडा धुर ने बात चीत करनी चाही तो ब्रिटिश सेना ने गावों और गुडा धुर की टुकड़ी पर हमला कर दिया , हालाँकि , ब्रिटिश सेना विजयी हुई मगर वह गुंडा धुर को पकड़ने में कामयाब नही हो सकी / गुडा धुर के इसी प्रयास की वजह से कांगेर जंगलों के सम्बन्ध में लिया गया फैसला ब्रिटिश सरकार को वापस लेना पड़ा / और गुडा धुर ब्रिटिश को बस्तर से खदेडने में कामयाब रहे /


गुडा धुर की इस लड़ाई को भूमकाल के नाम से जाना जाता है आज गुडाधुर के नाम से सरकार ने कई शैक्षणिक संस्थाए व संगठन संचालित है / स्वाधीनता की  72 वीं वर्षगाठ पर गुडा धुर को सलाम ! 

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