विश्व में समय अलग क्यों है

ये तो सभी जानते हैं कि विश्व के सभी देशों की समय अलग-अलग होता है और हम अपने देश के समय के हिसाब से ही अपना काम काज करते हैं । जब कुछ देशों की यात्रा करते हैं या दिन है कि रात ? या वहां टाईम क्या हुआ है। 

अपने किसी परिचित से बात करते है जो किसी अन्य देश में होता है तो सबसे पहला सवाल हमारा शायद यही होता होगा कि वहां 
आज के इस ब्लाॅग में हम समय कैसे बदलता है और विभिन्न देशों के अलग-अलग समय होने के कारणों के बारे में बात करते हैं । तो साफ बात यह है कि विश्व का पूरा समय बदलता है तो उसके पीछे सूर्य की किरणों के पृथ्वी पर आने के कारण । जिस जगह पर पहले किरणें आई वहां पहले सुबह होती है। मगर सवाल यह उठता है कि सूर्य की किरणें पहले कहाँ  पहले पड़ती है । 
तो ऐसा माना जाता है कि यह पहले लंदन के ग्रीनविच नामक जगह पर पड़ती है। और पूरा विश्व यही मानने लगा है। क्योंकि समय की गणना में आसानी हो रही है। इसे लेकर अभी तक किसी भी देश ने कोई मुद्दा नहीं बनाया है। 
  हांलाकि प्राचीन भारत में जब अंग्रेजों का अधिपत्य नहीं हुआ था तो भारत के उज्जैन से विश्व समय की गणना होती थी। 
मगर सवाल यही है कि गणना कैसे की जाती है । यानि कोई देश भारत से कितने घंटे या मिनट आगे या पीछे है इसे कैसे जाना जाए। और इसी बात की गणना के लिए पूरे विश्व को अक्षांस यानि (Latitude )और देशांतर यानि (Longitude)नामक काल्पनिक रेखाओं में बांटा गया है । अगर आप ग्लोब या विश्व के नक्शे को गौर से देखें तो आपको ये इन रेखाओं के साथ कुछ अंक यानि डिग्री भी लिखी मिल जाएगी। वैसे विश्व के समय की गणना देशांतर रेखाओं से की जाती है । इसके लिए पृथ्वी पर मौजूद देशांतर यानि Longitude  को समझना होगा।

क्या है देशांतर रेखाएं 

। ये वे काल्पनिक रेखाएं होती हैं जो ग्लोब पर उत्तर को दक्षिण धु्रवों से जोड़ती हैं । ये रेखाएं पूरे विश्व को 360 डिग्री में बांटती है। और ग्रीनविच की डिग्री को शुन्य माना गया है ताकि समय का हिसाब बराबर हो सके। यानि 180 ग्लोब के एक हिस्से में पूर्व की तरफ तो 180 पश्चिम की तरफ 

इन रेखाओं से समय को किस प्रकार आंका जाता है ?


अब इन रेखाओं से समय को कैसे पता लगाते हैं । 
अंतरिक्ष में पृथ्वी अपनी धूरी पर ही पश्चिम से पूर्व की तरफ घूम रही है ,इसी लिए हमें पूर्व से सूर्य निकलता हुआ दिखाता है तो पश्चिम में डूबता हुआ। जबकि हकीकत तो यह है कि सूर्य अपनी जगह पर है और पृथ्वी के घूमने के कारण हमे ऐसा प्रतीत होता है। तो जैसे-जैसे पृथ्वी की गति आगे
होती जाती है उन जगहों पर सूर्य की किरणें पडने के कारण सुबह से शाम और फिर रात होती है। प्रत्येक डिग्री के घूमने के बाद टाइम  में 4 मिनट का फर्क नजर आता है और उसी के आधार पर समय निर्धारित किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं लंदन में मौजूद ग्रीनविच 0 डिग्री है और एक मानक देशांतर के अनुसार भारत 82.50 डिग्री देशांतर पर मौजूद है। जो उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर से होकर गुजरता है। पहले इसे इलाहाबाद के वाराणसी से समझा जाता था।  82.50 को 4 से गुणा करने पर 330 आता है तो 330 मिनट होता है चूंकि भारत ग्रीनविच के पूर्व में मौजूद है तो भारत ग्रीनविच के समय से 330 मिनट यानि साढ़े पांच घंटे आगे है।
जबकि भारतीय मानक समय  की गणना 82.30 डिग्री देशांतर से की जाती है

अंग्रेजी हकूमत के पहले उज्जैन को विश्व का 0 डिग्री माना जाता था। 

ग्रीनविच से आगे और पीछे का मतलब 


ग्रीन विच लंदन में है। और जो भी देश पूर्व की तरफ आते है तो ग्रीन विच के समय से आगे ही होगें क्योंकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की तरफ घूम रही है और जो ग्रीन विच से पश्चिम की तरफ आते है वे गीनविच समय से पीछे हाते है। 
यानि ग्रीनविच का समय पूरे विश्व के समय का मानक है। 


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