Apr 6, 2020

History of B.J.P. भारतीय जनता पार्टी का इतिहास

इसमें कोई संशय नहीं है कि आज बीजेपी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। और इस पार्टी ने आज 303 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत पा चुकी है जबकि एक समय सत्ता का पर्याय रहे
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कांग्रेस की यहीं स्थिति होती थी। मगर यह कोई एक दिन या एक वर्ष में ऐसा नहीं हुआ बल्कि निरंतर संघर्षों के कारण ये सम्भव हो सका है । जानते है आज देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी यानि भारतीय जनता पार्टी के इतिहास के बारे में ।

इतिहास 


भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 में हुई थी और यह पहले भारतीय जनसंघ के नाम से जानी जाती थी जिसकी स्थापना श्यामाप्रसाद मुर्खजी ने 1951 में की थी। तीन बार बदला इसका नाम 
1951 से लेकर 1977 तक भारतीय जनता पार्टी को भारतीय जनसंघ के नाम से जाना जाता था और 
फिर 1977 के बाद 1980 तक यह जनता पार्टी के नाम से जानी जाती थी। 
फिर 1980 के बाद यह भारतीय जनता पार्टी बनी जिसे बीजेपी के नाम से जाना जाने लगा। 



क्या आप जानते है आज जिस बीजेपी को पूरे देश में 303 सीटें मिलीं है उसी बीजेपी को 1984 के आम चुनाव में महज 2 सीटें ही मिली थी । 2 सीटों से 303 सीटों तक का सफर लम्बा और चुनौती भरा था। 
भारतीय जनता पार्टी प्रारम्भ से ही यानि जनसंध के जमाने से ही हिन्दुत्व अवधारण की पक्षधर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानि आरएसएस की ईकाई है जिस कारण इस पर सांम्प्रदायिक पार्टी होने का आरोप लगता रहा है। 

जनसंघ का कांग्रेस विरोध

देश में पहली बार 25 अक्टूबर 1951 और 21 फरवरी 1952 को पहली बार आम चुनाव हुए । कांग्रेस 489 में 364 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी । 
भारतीय जनसंध इस आम चुनाव में कोई खास सफलता तो नहीं मिली मगर इसने जनता के बीच अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली। भारतीय जनसंघ ने उस वक्त के प्रचलित मुद्दों पर काम किया था । कश्मीर एकता, जमींदारी प्रथा का विरोध और परमिट लाईसेंस कोटा जैसे मुद्दे पर जोर दिया और राज्यों में अपनी पैठ बनाना शुरू किया।  जनसंघ ने जय प्रकाश नारायण का समर्थन किया जिन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ नारा दिया था कि सिंहासन हटाओ जनता आती है। 

संघर्ष का अगला पड़ाव 


बीजेपी के संघर्ष का अगला पड़ाव उस वक्त शुरू हुआ जब इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल की घोषणा की ।  इस दौरान जनसंघ के बहुत से नेताओं और
Jay Prakash Narayan
कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया ।फिर 1977 में आपात काल की समाप्ति के बाद आम चुनाव में काग्रेस पार्टी की हार के बाद मोरारजीदेसाई भारत के प्रधान मंत्री बने जिसमें लालकृष्ण आडवानी को सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया । तथा अटलबिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया।
दुर्भाग्य वश मोरारजी देसाई की सरकार 30 महिने के बाद आपसी गुट बाजी के चलते धाराशायी हो गयी 
और 1980 के चुनावों में विभाजित जनता पार्टी की हार हुई । यहीं से भारतीय जनसंध जनता पार्टी से अलग हुआ और इसने अपना नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी रखा। 
अटलबिहारी वाजपेयी पार्टी इसके अध्ययक्ष बने ।
Atal Bihari Vajpeyee
इस पार्टी में मुरलीमानोहर जोशी और लालकृष्ण आडवानी प्रमुख नेता रहे। पंजाब और श्रीलंका को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने फिर इंदिरा गांधी की सरकार की आलोचना की। 1984 में इंदिरा गाधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को तीन चैथाई बहुमत मिला तो भाजपा को सिर्फ दो सीटें ही मिली। यह बीजेपी के लिए झटका था ।

रणनीति में सुधार 

फिर चुनाव सुधारों की बीजेपी ने वकालत शुरू कर दी। बंग्लादेश से आ रहे घुसपैठियों तथा बोफोर्स तोप सौदे को लेकर राजीव गांधी को बीजेपी ने घेरना प्रारम्भ किया। 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने जनता दल के विश्व नाथ प्रताप सिंह को बाहर से समर्थन दिया चूकिं बीजेपी की सीटें बढ़कर 89 हो चुकी थी । मगर इस फैसले से बीजेपी ने गलत फैसला बताया । इस बीच आरक्षण मुद्दा गरमाया और मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू की। भाजपा को लगा कि वे अपना वोट बैंक खड़ा करना चाहते हैं । तो उसने फिर हिदुत्व का मुद्दा लेकर चुनाव मैदान में तैयारी शरू कर दी। मुद्दा था बाबरी मस्जिद का । 

राम मंदिर 

अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह राममंदिर बनाने के लिए भाजपा ने जनता को वोट मांगना शुरू कर दिया और उस वक्त लाल कृष्ण आडवानी ने सोमनाथ से अयोध्या तक एक रथ यात्रा की और बाबरी कार सेवकों की मदद से आयोध्या का विवादित ढांचा गिरा दिया। मंडल का जवाब कमंडल  से दिया ।
इस घटना से लालकृष्ण आडवानी गिरफ्तार हुए। भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया । परिणामस्वरूप विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गिर गई। और चुनाव प्रचार के दौरान 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई । 

उदारीकरण का विरोध 

चुनाव में बीजेपी की सीटें बढ़कर 119 हो गई इसका श्रेय राम मंदिर के मुद्दे को दिया जाने लगा। कांग्रेस को स्पष्ट बहुतमत नहीं मिला और नरसिंम्हा राव अल्पमत की सरकार चलाते रहे। भाजपा ने कांग्रेस का विरोध जारी रखा और फिर देश में आई मंदी के कारण सरकार ने आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाई जिससे विदेशी कम्पनियों को भारत में निवेश करने का रास्ता साफ हो गया। भाजपा इस उदारीकरण की नीति का विरोध भाजपा करने लगी।

1996 के आम चुनाव में मिली सफलता 

1996 चुनाव में भाजपा पहली बार एक बड़ी पार्टी बनकर उभरी मगर वह दूसरी पार्टियों के समर्थन से ही सरकार बनाने में कामयाब हो पायी। मगर लोकसभा में बहमत सिद्ध न कर पाने की सूरत में सरकार 13 दिन के बाद ही गिर गई । अटलबिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे।और कांग्रेस के बाहरी समर्थने से बने सरकारे जिसमें प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा और गुजराल थे वे भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके । 1998 में फिर चुनाव हुए भाजपा ने गंठबंधन करते हुए 181 सीटें पर अपनी बढ़त हासिल की ।

एनडीए का गठन   

सीटों का तालमेल से सरकार तो बना ली अटलबिहारी वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बने मगर गठबंधन की प्रमुख दल एआइडीएमके की
नेता जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया तो अटल बिहारी की सरकार फिर गई ।
1999 फिर चुनाव हए 23 दलो के साथ साझा गठबंधन से साझा घोषणापत्र पर चुनाव लड़ा गया । इस गठबंधन को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन का नाम दिया गया जो आज एनडीए कहलाता है। फिर एन डीए को बहुमत मिला अटलबिहारी वाजपेयी तीसरी बार भारत के प्रधान मंत्री बने और वे एक मायने पहले गैर कांग्रेसी प्रधान मंत्री बने । 

नरेन्द्र दामोदर मोदी का उदय 

फिर गुजरात दंगे और गुजरात में बेमिसाल
सरकार का नेतृत्व करने वाले नरेन्द्र दामोदर मोदी को बीजेपी ने प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित किया और 2014 का चुनाव मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया । अपने करिश्माई भाषण और जोरदार छवि वाले नरेन्द्र मोदी ने देश में एक नई जान दी । जो देश अब तक साझा सरकार, गठबंधन की मार से जूझ रहा था उसमें नरेन्द्र मोदी ने एक नई जान डाली ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार रथ यात्रा कर लालकृष्ण आडवानी ने बीजेपी की धमक बढ़ा दी थी। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी को  बहुमत मिला और नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री बने जो आज पर्यन्त है।



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Apr 5, 2020

Guhar App Bastar गुहार एप बस्तर’’

जन समान्य से जुड़ने के लिए जिला प्रशासन ने एक मोबाईल एप तैयार किया है ऐसी उम्मीद है कि इससे जनता की शिकायत और उसका निवारण तत्काल होगा। और जनता की बात सीधे जिला प्रशासन तक पहुँचेगी। इसके लिए कोई दरख्वास्त /अर्जी देने की जरूरत नहीं है । न हीं घंटों लाईन में लगने की जरूरत है । 
तो फिर क्या जरूरत है? 
Guhaar Bastar 
अपनी मोबाईल नम्बर से गूगल प्ले स्टोर पर जाकर इस एप को आप डाऊन लोड करना है और फिर अपनी शिकायत सीधे जिला प्रशासन के सामने रखनी है ।  इस एप का नाम है गुहार जिसे रेटकाॅन्स टेक्नोलाजी  ने बनाया है और 2 मार्च को इसे लांच किया गया । जानते है यह एप कैसे आम आदमी के लिए मददगार साबित होगा। इससे पहले थोड़ा इसके नामकरण पर चर्चा करते हैं ।


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गुहार (Guhaar) का अर्थ क्या है?  

गुहार मेरी जानकारी में हिन्दी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है विनती या निवेदन ।इसे इस तरह समझते हैं  आमतौर पर अपनी शिकायत बताने के लिए आवाज लगाना या इसे यूॅ समझ लिजिए अपनी बात रखने के लिए उच्च अधिकारियों तक आवाज पहुँचाना । इस शब्द का प्रयोग पहले देवी देवताओं या राजा महाराजाओं तक अपनी शिकायत बताने के लिए उपयोग किया जाता था। सम्भवतः यही बात ध्यान में रखकर इसका नाम गुहार रखा गया ।
खैर नाम में क्या रखा है ? इस लेखन के माध्यम से मै उन बातों पर आपका ध्यान चाहता हूँ जिसके बूते आप यह एप कैसे काम करता है ?  ये जान सकते हैं बात करते । 
तो आते हैं सीधे मुद्दे पर 
आजकल स्मार्ट फोन हर किसी के पास है । वे सीधे गूगल प्ले स्टोर में जाकर हिन्दी या अंग्रेजी में ‘‘ गुहार एप बस्तर’’ टाईप कीजिए । उसमें आपको अंग्रेजी में लिखा ’गुहार बस्तर ग्रीवेन्स एप ’ लिखा आएगा और भारत सरकार का लोगो यानि प्रतिक चिन्ह होगा । उस पर आप टैब कीजिए! तो फिर ऐसा कुछ खुलेगा। (कुछ चीजों को आप जान लिजिए टैब करना यानि उँगली से छूना )
Guhaar app bastar

इसके बाद आपको क्या करना हैं उसकी जानकारी मै बिन्दुवार देने का प्रयास करता हूँ उम्मीद है आपको मै समझा पाऊँगा। 
  • अब जैसे ही प्ले स्टोर पर नजर आए ’गुहार बस्तर ग्रीवेन्स एप ’ पर उँगली रखेगें तो वह खुलेगा और फिर उसके बाद ईन्सटाॅल पर क्लिक या अपनी उँगली से टैब करेंगे तो यह कुछ देर बाद इन्सटाॅल हो जाएगा। 

कितनी देर में इन्सटाॅल होगा यह नेट की स्पीड पर निर्भर करता है।

  • इन्सटाॅल हो जाने के बाद चित्र में दिखाए गए अनुसार आपके मोबाईल स्क्रीन पर यह नजर आएगा। आपको अपना मोबाईल नम्बर उसमें लिखना है और


  • फिर लाॅग इन Login पर उँगली से छूना है या टैब करना है। और फिर आपके मोबाईल स्क्रीन पर लिखा आएगा कि ओटीपी OTP (वन टाईम पासवर्ड )भेजा गया है । और आपके मैसेज बाक्स में एक नम्बर ओटीपी आएगा।

उस नम्बर को आपको वहाँ लिखना है । 
  • इसके बाद आपका फोन पंजीकृत हो जाएगा। अब आपके मोबाईल पर एक नया पेज खुलेगा जिस पर चित्र में दिखाए गए अनुसार लिखा होगा। 
  • मान लिजिए आपको अगर कुछ शिकायत दर्ज करानी हो तो ’’शिकायत दर्ज करें पर ’’ छूते ही एक नया पेज खुलेगा और वहाँ आपकी जानकारी जैसे नाम , पुरूष /महिला अपना उम्र समूह ( इसमें छूते ही एक लिस्ट आ जाएगी जिसमें आपका उम्र डालना होगा। 
  • इसी तरह व्यवसाय वाले काॅलम में छूते ही सभी तरह के व्यवसाय आ जाएंगे आपको अपना व्यवसाय पर क्लिक या टैब करना है करना है। 

सारी जानकारी के बाद आप सबमिट कर देंगें तो आपकी शिकायत  दर्ज हो जाएगी सीधे जिला प्रशासन के पास । आप ये भी जान सकते हैं कि आपकी द्वारा दर्ज की गई शिकायत किसके पास गई उसका क्या हुआ इत्यादि। इसके लिए आपको मेरी शिकायतें पर टैब करना होगा। 
उम्मीद है ये जानकारी आपको मददगार साबित हुई होगी। मुझे उम्मीद है जगदलपुर बस्तर जिले में रहने वाले हर नागरिक को इसकी जानकारी आम साझा करेंगें। क्योंकि प्रशासन  ने ये काफी नायाब तरीका निकाला है जनता की समस्याओं के निराकरण करने का। 
इससे जनता को कई बातों का फायदा मिलेगा। 
  1. जिला कलेक्ट्रेट तक अपनी बात रखने के लिए दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
  2. कार्यालय में मौजूद मुँह बनाए अधिकारियों और कर्मचारियों की उल्टीसीधी बातों से रूबरू नहीं होना पडे़गा।
  3. पेन पेपर तथा पावती की झंझट नहीं 
  4. अपनी बात बैखौफ रख सकते हैं 
  5. आपकी शिकायतों  का निराकरण और उत्तर अवष्य होगा। क्योंकि इससे सीधे प्रशासन जुडा रहेगा। 
  6. इसमें एक डिपार्टमेंट Login का भी Option है जिसके तहत विभाग प्रमुख भी इस दिशा में होने वाली गतिविधयों से परिचित हो सकते हैं ।

जानते हैं इस एप  में क्या -क्या खूबियाँ हैं?


  • इसमें जीपीएस सिस्टम सक्रिय है जिससे इसके उपयोग करने आसानी से खोजा जा सकता है। 
  • विभाग और पदों को आसानी से खोजा जा सकता है । (काश ! इसमें विभाग प्रमुखों के फोन नम्बर भी होता । )
  • इसके जरिए शिकायतों और निवारण किए गए कार्यो की पूरी सूचि देखी जा सकती है । ये अच्छा है जिसके जरिए आप ये जान सकते हैं कि मेरी शिकायत का क्या हुआ । कार्यवाही कहाँ तक पहुँची है। 

आप अपनी शिकायत की फोटो ,विडियो या डाक्यूमेंट भी इसमें डाल सकते हैं । 
Guhaa App
यह एप प्रशासन और जनता के बीच बनी खाई को पाटता है और प्रजातंत्र की परिभाषा यानि  जनता का, जनता के लिए, और जनता द्वारा  - को पूरा करता है।

कौन कौन लगे थे इस एप को बनाने में 

जिला प्रशासन के नेतृत्व में चार लोगों की टीम ने इस एप  के निर्माण को अंजाम दिया । किसी भी एप को बनाने में कोडिग की जरूरत होती है, इसकी डिजाईन और कोडिंग की अंकुर राखी सिन्हा ने जो एक जगदलपुर में इंजीनियरिंग  कर रहें हैं  । इस टीम में बस्तर जिला पंचायत सीईओ इंद्रजीत सिह ,दरभा तहसीलदार पंकज सिंह , सहायक कलेक्टर अविनाश मिश्रा तथा राकेश जो चिप्स बस्तर के प्रमुख  हैं । यानि पूरे एप  को बनाने में चार सदस्यों ने दो साल तक भरपूर काम किया । इसके अनगिनत ट्रायल लिये गये । फिर इसे जिला कलेक्टर ने 2 मार्च को लांच किया। देखना ये है कि इस एप का इस्तमाल कितने लोग करते हैं । और एप अपने उद्देष्यों पर कितना खरा उतरता है।


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