Baali in Bastar
पिछले हफ्ते ही मुझे बकावण्ड ब्लाॅक में ही कुछ जगहों पर जाने का अवसर मिला जहां कुछ अद्भुत नजारे देखने को मिले । सामाजिक कार्यकर्ता असित शेखर नायक के साथ बकावण्ड के धोबीगुड़ा
इलाके से होते हुए ग्राम पंचायत उलनार और तारापुर हम पहॅुंचे जहां एक अनोखी परम्परा के बारे में जानकारी मिली जिसे बस्तर में सदियों से मनाया जा रहा है। वह है बाली पूजा यहां बाली त्यौहार भी कहते है।
बस्तर की परम्पराओं और रीतिरिवाजों के बारे में काफी चर्चा मैने अपने ब्लाॅग में पहले भी की है
कृपया इसे भी पढ़े
खैर बाली त्यौहार के बारे में बताता हूॅं -
ग्रामीणों ने बताया कि यह एक ऐसा त्यौहार है जो एक या दो दिन के लिए नहीं बल्कि पूरे 2 महिने चलता है। और इन दो महिनों में कई धार्मिक कार्य किये जाते है, खास तौर पर पानी में रहने वाले जीवों की पूजा अर्चना की जाती है । और पूरे गांव मंे मेले लगता है। जिसमें आसपास के गांवों के लोग भी जमा होते हैं । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह त्यौहार अन्य त्यौहारांे की तरह प्रतिवर्ष नहीं होता है।
बल्कि प्रत्येक 21 वर्ष के अन्तराल में होता है।किस प्रकार होता है यह आयोजन
ग्रामीण गांव के एक ऐसे इलाके में जहां अधिक से अधिक लोग जमा हो सकते हैं उस जगह पर लकड़ी के दो बड़े लटठे को जमीन में पास पास मिलाकर जमीन में गाड़ देते हैं और जब 21 वर्ष के बाद ये दोनों लट्ठे आपस से जुड़ जाते हैं तो यह त्यौहार मनाया जाता है। इन दोनों लटठों पर आकृतियां बनायी जाती है जिसे भीमा और भीमिन का नाम दिया जाता है। कुछ जगहों पर इन लटठों को 15 वर्ष में जुड़ते देखा गया है। तो कुछ जगहों पर 21 वर्ष लगते है ।
जब भी आप बस्तर के किसी गांव में जाएं और आपको बाली उत्सव की जानकारी हो तो जान लीजिए यह उत्सव पौराणिक किरदार बाली के लिए नहीं। बल्कि भीमा भीमिन के विवाह के लिए है।
यह क्यों मनाया जाता है।
उत्सव दो महिने चलता है । सवाल उठता है अखिर कारण क्या है क्यों यह मनाया जाता है ? इसके पीछे कारण क्या है ? जब हमने गांव के कुछ लोगों से पूछा तो मिश्रित जवाब मिले जिनमें प्रमुख हैं
- गांव के नदी-नाले में रहने वाले समस्त जीव जन्तुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए इसे मनाया जाता है
- तो कुछ कहते हैं गांव की तरक्की व खुषहाली के लिए इसे मनाते हैं
- तो कुछ ने कहा इसे प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रगट करने का एक प्रयास है क्योंकि प्रकृति से ही हमें सारी चीज़ें मिलती है।
Labels: ClassVII, Notes for students


0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home