Nov 6, 2019

शेयर मार्केट में पैसा

शेयर मार्केट में पैसा लगाना चाहिए कि नहीं ? इस बात के लिए सीएनबीसी आवाज और ज़ी बिजनेस जैसे कई चैलन है जो दिन रात आपको सलाह देते रहते है। इस ब्लाॅग में मै आपको शेयर मार्केट से जुड़ी बुनियादी बातों को साझा कर रहा हॅू जो शायद आप अक्सर सुनते है । दूसरे शब्दों में कहें तो एक परिचय दे रहा है शेयर मार्केट का । 
stock market
Share Market

 एक परिचय शेयर मार्केट से 

एक जमाना था जब स्टाॅक मार्केट यानि शेयर मार्केट में निवेश केवल बड़े पैसे वाले ही कर पाते थे। मगर इंटरनेट के इस युग में यह आज इतना आसान हो गया है कि अपने घर पर बैठे-बैठे आप एक क्लिक पर शेयर मार्केट से जुड़ सकते हैं। शेयरों की खरीद फरोक्त कर सकते हैं । और छोटे शहरों में भी शेयर ब्रोकरों की संख्या बड़ रही है।ं 

ये शेयर ब्रोकर कौन है ? 

आईए इसे समझते हैं । दरअसल आपको शेयर मार्केट में घुसने के लिए जो अब Online हो गया है एक अकाउण्ट की जरूरत पड़ती है जिसे 
जिसे डिमेट  और ट्रेडिंग अकाउण्ट कहते है। ध्यान रखिए ट्रेडिंग और डिमेट अकाउण्ट दोनों अलग-अलग है। 
ट्रेडिंग अकाउण्ट के जरिए आप शेयर खरीद या बेच सकते सकते हो तो डिमेट अकाउण्ट में आपका पैसा स्टोर करने के लिए रखा जाता है जिसे आप जब चाहे अपने बैंक के सेविंग अकाउण्ट में डाल सकते हैं । 
मुद्दे की बात यह है कि इसी डिमेट और ट्रेडिंग अकाउण्ट खोलने के लिए आपको जिसकी जरूरत पड़ती है वह है ब्रोकर यानि दलाल
यह आपके लिए कमीषन के बेस पर शेयरों की खरीद फरोक्त करते है। तो ब्रोकर कौन है यह तो समझ मंे आ ही गया होगा। अब ब्रोकर को मिला कैसे जाए? कौन है असली और कौन है नकली?
सीधी सी बात है सेबी (यानि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के लिस्ट से इसकी जानकारी मिल सकती है। 

 डिमेट अकाउण्ट कैसे खोलें?

इसके लिए ब्रोकरों के पास आप अपना पेनकार्ड,ऐड्रेस प्रूफ,और परिचय पत्र ले कर जाना होता है। आमतौर पर ट्रेडिंग अकाण्उट खोलने के लिए ब्रोकर पैसे तो नहीं लेते हैं मगर डिमेट अकाउण्ट के लिए वे 300से 1000 रूपये तक चार्ज लेते है। और वार्षिक मेंन्टेनेंस के नाम पर 250 से 600 रूपये तक लेते हैं हांलांकि कुछ ऐसी संस्थाएं मुफ्त मे डीमैट अकाउंट खोलने की पेशकश  भी कर रही हैं । 

इसमें शेयरों की कैसे खरीदारी की जाती है?

आजकल तो यह पूरी तरह online हो गया है। बस एक माउस क्लिक पर आप शेयर खरीद और बेच सकते हैं । और सर्विस चार्ज के बाद सीधे आपके अकाउंट में पैसा आ जाता है। 
मुख्य रूप से ट्रेडिंग में साधरणतः बड़ी मात्रा में शेयर रोजाना खरीदे बेचे जते हैं, जबकि इन्वैस्टिंग में शेयर लंबे समय जैसे 3, 5या 10 सालों के लिए खरीदे जाते हैं। सामान्य लोगों के लिए ट्रेडिंग की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि बड़ा रिस्की साबित होता है। 
इसमें  पैसा लगाने से पहले कम्पनी के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। आज कल तो चैनलों में ऐसे कार्यक्रमों की भरमार होती है जो आपको सलाह देते है कि किस कम्पनी में पैसा लगाएं और किसमें नहीं । हांलाकि यह सलाह न तो पूरी तरह उपयोगी है न ही । इसीलिए सोच समझ कर कम्पनी के भूत,भविष्य और वर्तमान के बारे में पूरी जानकारी ले कर ही शेयरों पर पैसा लगाएं। 
जो लोग शेयरों के बारे में ज्यादा नहीं जानते है उन्हें अक्सर सलाह दी जाती है कि म्यूच्अल फंड में पैसा लगाएं इसमें रिस्क थोड़ा कम होता  है। 

सिप क्या है?

शेयरों में अक्सर यह शब्द सुनने में आता है सिप तो यह क्या है यह जान लेना भी जरूरी है
सिप दरअसल सिस्टमेटिक इन्वैस्टमेंट प्लान का संक्षिप्त रूप है जिसमें व्यक्ति मासिक किस्तों पर निष्चित समय के लिए  पैसा लगाता रहता है। इसमें पूरी राषि एक बार में जमा नहीं करनी पड़ती है।

म्यूचुअल फंड क्या है?

अगर आपको निवेश करना हो और शेयर मार्केट की ज्यादा जानकारी न हो तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प है।मगर इसके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है तो जानते हैं कि म्यूअल फंड क्या हैं और कितने प्रकार के होते हैं ?
इसमें निवेश करने के लिए सीधे वेबसाईट पर जाकर या फिर सलाहकार की मदद से निवेश करना होता है। सीधे निवेष होता है और दूसरा सलाकार की मदद से निवेश होता है। अगर सलाहकार की मदद से निवेष कर रहें तो विभिन्न फंड की स्कीम में निवेश करना हितकर होता है। म्यूचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान में निवेष करने से किसी ब्रोकर को commission  नहीं देना पड़ता है और रिर्टन के अच्छे आसार बन जाते है बशर्ते आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहें हों ।

म्चूचुल फंड के प्रकार

म्यूचुअल फंड के कई प्रकार होते हैं जिन्हें इक्वीटी ,डेट ,हाईब्रीड और सोल्यूषन ओरिएण्टेड म्यूचुअल फंड के नाम से जाना जाता है। जानते है वे क्या होते हैं

इक्विटी फंड

इस प्रकार के फंड निवेशकों का फंड विभिन्न shares में जमा किया जाता है और यह लम्बी अवधि का हो तो अच्छे रिर्टन देने वाले होते है। जिन्हें शेयर मार्केट की जानकारी और निवेश का पता न हो तो उन्हें इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए वो भी लम्बी अवधि के लिए क्योकि ये शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती है।अवधि 10 साल तक होनी ही चाहिए। इक्विटी फंड के 10 प्रकार होते है।

डेट फंड 

इस प्रकार के फंड में निष्चित खर्चे एवं अवधि के लिए निवेष किए जाते हैं। इसे छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य को पूरा करने वाला कहा जाता है। Bank के फिक्स्ड डिपोजिट की तुलना में ये बेहतर रिर्टन देती है।

हाईब्रिड म्युचुअल फंड 

यह डेट और इक्विटी का मिला जुला रूप  है ।निवेशकों को अपने खर्च की  जोखिम की क्षमता को ध्यान में रखना होता है । इसके छ प्रकार होते हैं ।

Solution Oriented Scheme 

इसे खास वित्तीय लक्ष्य यानि शिक्षा, रिटार्यमेंट इत्यादि के लिए निवेश किया जाता है। इसे कम से कम पांच साल के लिए करना जरूरी होता है।

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